रायपुर निकाय चुनाव पर संकट! लाखों वोटर लिस्ट से गायब, हाईकोर्ट में चुनौती की तैयारी

🚨 रायपुर | छत्तीसगढ़ की राजधानी में हुए नगर निगम चुनाव में इस बार भारी अनियमितता सामने आई है। प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम में अब तक का सबसे कम मतदान—महज 49.58% दर्ज किया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा हुआ है। इस गिरावट की बड़ी वजह बनी मतदाता पर्चियों का सही समय पर वितरण न होना और हजारों लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब होना।
🗳 आखिरी वक्त पर आया आदेश, प्रशासन के हाथ-पांव फूले
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान से महज तीन दिन पहले रात 10 बजे नगर निगम को आदेश दिया कि वे सर्वर से 10 लाख से अधिक मतदाताओं की पर्चियां निकालकर बांटें। नगर निगम के हर जोन में औसतन 1 लाख से ज्यादा मतदाता आते हैं, ऐसे में इतनी कम समय में इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाना मुश्किल साबित हुआ। नतीजा यह हुआ कि लाखों मतदाता वोट डालने नहीं पहुंच सके।
❌ मतदाता सूची से नाम गायब, वोट डालने से वंचित रहे हजारों नागरिक
रायपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हितेंद्र तिवारी ने बताया कि उनका और उनके परिवार का नाम पूरी मतदाता सूची से ही गायब कर दिया गया। उन्होंने वार्ड के हर मतदान केंद्र—नूतन स्कूल, शांति नगर स्कूल, बीपी पुजारी स्कूल—हर जगह नाम तलाशा, लेकिन नहीं मिला।
केवल वे ही नहीं, बल्कि इंद्रावती कॉलोनी के 35 से अधिक परिवारों के नाम भी मतदाता सूची में नहीं थे, जिससे वे भी अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर सके।
⚖ हाईकोर्ट में दायर होगी याचिका, न्याय की लड़ाई होगी तेज
हितेंद्र तिवारी ने कहा कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है और वे इस मुद्दे को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। अगर जरूरत पड़ी, तो वे चुनाव रद्द करने की मांग भी करेंगे।
❓ अब सवालों के घेरे में निर्वाचन आयोग
✅ आखिर बीएलओ के बजाय पर्ची वितरण की जिम्मेदारी निगम प्रशासन को क्यों दी गई?
✅ मतदान से महज तीन दिन पहले रात 10 बजे आदेश जारी करने के पीछे क्या कारण था?
✅ मतदाता सूची से हजारों नाम कैसे गायब हो गए?
इस चुनावी गड़बड़ी ने लोकतंत्र की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करता है, तो रायपुर नगर निगम चुनाव के नतीजों पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या यह चुनाव रद्द होगा या दोषियों पर कार्रवाई होगी? अब सबकी नजरें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। 🚨